आपको अपना मानता था. आप और हम अलग कब हो गये।


आप अक्सर सुनते होंगे कि किसी मुशायरे या किसी मजलिस की मंच पर खड़ा कुछ कट्टरपंथी टाइप के लोग सीना पीट पीट कर बोलते हैं कि “हमने 800 साल तक राज किया”, “हमने क़िले बनाए”, “हमारे 52 मुल्क”, “हमारे 25 करोड़

ये हम और हमारे बोलने वाले कहना क्या चाहते हैं। मैं तो आपको अपना मानता था. आप और हम अलग कब हो गये। अगर 800 साल तक राज तुमने किया है तो नालंदा तुमने ही जलाया है। हत्या, दुष्कर्म, क्रूरता, आतंक का ख़ूनी खेल तुमने ही खेला है। तुमने ही भारत की संस्कृति को जलाने का प्रयास किया। काली, दुर्गा, लक्ष्मी सरस्वती शक्ति को पर्दे में ढकेला है। 

तुम क्या क़िले बनाओगेक़िले भारत के कारीगरों और मज़दूरों ने बनाए थे। तुम्हें केवल तोड़ना आता था. सोमनाथ, अयोध्या, मथुरा, काशी से लेकर पूरे उत्तर, पूर्व और पश्चिम भारत की सांस्कृतिक धराहरो के विध्वंश का पाप भी तुमने ही किया था. तुम क़िले बनाने लायक़ होते तो वहाँ भी बनाते जहाँ से तुम आए थे। आज भी रेत और बंजर है जहाँ से तुम आए थे। असभ्य और अधर्मी थे तुम, सभ्यता की हरित सिंधु में आए थे। 

तुमने आग लगाए, तलवार चलाए पर सत्य पराजित नहीं होता। सिन्ध पंजाब बंगाल काट पाकिस्तान भी तुमने ही बनाया था।उनकी भाषा संस्कृति छीन उस ज़मीन को पाकिस्तान नाम का जहन्नुम बना दिया। खुद क्यों नहीं गए। आतंक क्रूरता से प्रताड़ित लोगों को भारत माता अगर अपने आँचल में बुलाती है पूरा देश जलाओगे, भारत को गालियाँ दोगे।

ये 52 मुल्क तुम्हारे कब बन गए और तुम भारतीयता छोड़ अरब कब बन गए और आप हमसे अलग कब हो गए। कौन से 52 मुल्क की बात कर रहे हो जिनमे आधे से ज़्यादा तो अमेरिका की जी हुज़ूरी करते हैं कि उनका अस्तित्व बचा रहे नहीं तो,  बाप और भाई का गला काटने वाली उनकी अपनी ही कौम उनका गला काटेगी। 

चहक चहक के जिस सौदी अरब का नाम लेते हो. जिस सौदी अरब के टुकड़ों पर कितनो की नफ़रत और ज़हर की दुकान चलती है, अमेरिका से सबसे ज़्यादा हथियार ख़रीदता है और उन्ही हथियारों से यमन ईरान इराक़ सीरिया और कुर्दीस्तान के लोगों की हत्या करता है। तुर्की के तानाशाह की फ़ोटो लगाते हो वो अपने लोगों भी मारता है और कुर्द की भी हत्या करता है।               

तुम अपने आप को 800 साल से जोड़कर क्या यहाँ सत्यापित करना चाह रहे हो कि तुम भी उनकी की तरह क्रूर, आतंकी और अधर्मी हो। तुम्हें सत्यापित नहीं करना पड़ेगा क्योंकि पूरी दुनिया भी वही कह रही है।     

ऐसे कौन सी ईश्वर की लड़ायी लड़ रहे हो जो क्रूरता आतंक और अधर्म सिखाती है। अपने आपको गोरी गजनवी तैमुर बाबर औरंगज़ेब जैसे आक्रांताओं से क्यों जोड़ते हो। एक बार अश्फ़ाक ऊल्ला खान अब्दुल कलाम अब्दुल हमीद बन के देखो तुम्हें अपने सर आँखो पर रखते हैं। 

हम कहते हैं सत्य की विजय हो अधर्म का नाश हो विश्व का कल्याण हो। 
तुम कहते हो कि तुम्हारे सम्प्रदाय की विजय हो बाक़ियों नाश हो और पूरा विश्व केवल एक सम्प्रदाय को माने। 

शायद तुम ईश्वर को नहीं समझ पाए अगर ईश्वर को केवल एक सम्प्रदाय बनाना होता तो विश्व में केवल एक ही सम्प्रदाय होता। तुम्हें तलवार लेकर लोगों का गला नहीं काटना पड़ता। सत्य एक है सत्य को पाने कहने और खोजने के तरीक़े अलग हो सकते हैं। 

एकम सत विप्रा बहुधा वदन्ति।   

इन सभी हमने 800 साल तक राज किया”, “हमने क़िले बनाए”, “हमारे 52 मुल्क”, “हमारे 25 करोड़ वालों को ईश्वर सदबुद्धि दे।  

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