भगवा अजेय है, भगवा अमर है।


स्वराज का बिगुल बजा है. भारत फिर से भगवा हुआ है। 
राम की भूमि फिर पावन होगी, उस आक्रांता बाबर का अहंकार टूटा है।

आये थे कितने भगवा जलाने, आए थे कितने भगवा मिटाने,
गजनी आज बंजर हो गया, औरंगजेब भी कबका नर्क में पहुँचा  

भगवा वह यथार्थ, जिसे ना मिटा सका हजार वर्षो का आतंकवाद।
बंदूक़ और तोपों वाला ब्रिटिश सम्राज्य ढह गया भगवा को मिटाते मिटाते।

फिर से अब स्वराज आया है, छटपटा रहे हैं भ्रष्ट भूरे अंग्रेज  
स्वराज की आंधी इन्हें ले उड़ी, भारत के शत्रु तेरे चेहरे का नकाब उठा है।

भारत माँ का ध्वज है भगवा, सूरज उगे तो भगवा, रात्रि का आरम्भ भी भगवा।
बुद्ध का चोला भगवा, कबीर की वाणी में भगवा, रसखान की भक्ति में भगवा।

भगवा करे पारसी की रक्षा, भगवा ग़ाता कलाम का गौरव, भगवा है तो मदर टेरेसा।
भगवा में कोई बैर नहींभगवा है तो मानवता है, भगवा करता सबकी रक्षा।

भगवे के दुश्मन तुम्हें तोड़ेंगे, उच्च नीच का जाल बुनेंगे।   
स्वराज की लौ तुम बुझने मत देना। अपनो को अपनो से लड़ने मत देना

भगवा के तप से शत्रु भस्म होते, भगवा अजेय है, भगवा अमर है, भगवा करे अधर्म का नाश।       


   ॐ 
   
 

No comments:

Post a Comment