पति एक दिहाड़ी मज़दूर, मिट्टी का कच्चा मकान, पैसे से ग़रीब पर दिल माँ अन्नपूर्णा जैसा। एक दलित परिवार की बेटी और बंगाल की नवनिर्वाचित जन प्रतिनिधि चंदना बाउरी का मानना है कोई भी बच्चा भूखा एक दिन के लिए भी भूखा नहीं रहे।
पर चंदना बाउरी क्या करेगी वो तो विपक्ष में बैठी है, विपक्ष में इसलिए बैठी क्योंकि वो भगवा वालों के तरफ़ से लड़ी। एक तबके के बीच में भगवा और भारतीय संस्कृति के लिए इतनी नफ़रत भर दी गयी है कि भगवा वाले ना आ जायें इस नफ़रत से वो किसी भी चोर लुटेरे और अपराधियों को सत्ता की चाभी थमा देते हैं।
जब चुनाव आए तो भगवा वाले को हराओ। फिर पाँच साल दे दो इन तथाकथित सेक्युलर लुटेरों को। वो पाँच वर्ष लूट पाट करने के बाद काम काज का कोई हिसाब नहीं बस अगली बार फिर भगवा वाले को हराओ। पिछले सत्तर वर्षों से यही खेल चल रहा है।
ख़ैर भगवा और भारतीय संस्कृति से नफ़रत करने वालों से बस इतना ही कहूँगा कि भगवा और भारतीय संस्कृति कोई ग़ैर नहीं है। हमारे आपके और सभी भारतीय के पुरखे इस संस्कृति में जीते थे। नाम और सम्प्रदाय बदलने से आपकी पहचान आपकी संस्कृति नहीं बदल जाएगी। आप भारतीय हैं और भारतीय ही रहेंगे। और हम सभी भारत माता की संताने हैं।
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