निशु को नौंवी में फेल करने बाद उसका दोबारा प्रवेश नहीं किया गया |
राजनीतिक टिप्पणी से दूर रहने का प्रयास करता हूँ पर जब लाखों ग़रीब बच्चों का भविष्य अंधकार में डाल दिया जाता है तब अपनी अंतरात्मा की आवाज़ सुनकर यह लिख रहा हूँ।
2018 के शैक्षिक वर्ष में दिल्ली के सरकारी स्कूलों में कक्षा नौंवी से बारहवी तक कुल 1,55,436 विद्यार्थी फेल हुए। इनमे से केवल 52,582 को पुनः परीक्षा में बैठने का मौक़ा दिया गया। एक लाख दो हज़ार आठ सौ चौव्वन को दोबारा परीक्षा में बैठने ही नहीं दिया गया। उनके आगे पढ़ने का रास्ता बंद हो गया। इन बच्चों के सपनो का गला घोंट दिया क्योंकि दिल्ली में बैठी एक निक्कमी सरकार को झूठी वाहवाही बटोरिनी थी। वैसे भी इनलोगो को क्या फ़र्क़ पड़ता है सरकारी स्कूल में वैसे भी ग़रीब के बच्चे पढ़ते हैं। उनके बारे में क्यों सोचना। इनके बच्चे तो महँगे महँगे स्कूलों में जाते हैं।
शिक्षा की क्रांति का झूठा गुणगान सुनिए। महानुभाव जी की सरकार ने गिनती के दो से पाँच विद्यालयों में कुर्सी मेज़ AC और स्विमिंग पूल जैसा कुछ बनाया है। और अपने अंध अनुयायियों को फ़ोटो बाट दिया कि देखो हमने कितनी बड़ी क्रांति की है। शिक्षा का स्तर अगर AC और स्विमिंग पूल बनाने से अच्छा हो जाता तो विश्व के सभी समृद्ध देश स्कूलों में AC और स्विमिंग पूल बनाते। और साहब अगर इतनी बड़ी क्रांति की है आपने तो आपके बच्चे क्यों नहीं जाते इन स्कूलों में। उपहास उड़ा रहे हो ग़रीबों का।
नौंवी में गणित में फेल करके शीतल को भी पुनः प्रवेश नहीं दिया गया
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मैं समझता हूँ कि इतना आसान नहीं होता चीज़ों का अचानक बदलना। समय लगता है पर आपने झूठी वाहवाही और अपने सनक में इन लाखों बच्चों का सपना छीन लिया। आप चुनाव जीतो हारो उससे मुझे कोई फ़र्क़ पड़ता पर आपको इन लाखों बच्चों श्राप ज़रूर लगेगा। ईश्वर आपके पाप का हिसाब ज़रूर करेगा।
"दुर्बल को न सताइये, जाकी मोटी हाय |
मरी खाल की सांस से, लोह भसम हो जाय ||
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