लॉकडाउन ने इतना तो एहसास करा दिया होगा कि हमारे जीवन सबसे बड़ी आवश्यकता भोजन है।
और भोजन को खेत से आपकी थाली तक पहुँचने में सोचिए कितने लोगों का परिश्रम लगा है, खाद बीज की फ़ैक्टरी से लेकर, किसान, मज़दूर, ट्रांसपोर्ट, दुकानदार और आपके परिवार का सदस्य जो बाज़ार से ख़रीद कर लाया और किसी सदस्य ने उस भोजन को पका कर आपके सामने परोसा है.
आपकी भोजन की थाली हज़ारों लाखों लोगो के परिश्रम का फल है।
और कुछ लोग जो भोजन में कमियाँ निकलते हो कि नमक कम है तेल कम या मसाला कम है ये कम ये ज्यादा। अगली बार जब भोजन करने बैठना तब यह सोचना कि यह भोजन कैसे और कहाँ से तक का रास्ता तय करते हुए आपकी थाली में पहुँचा है. और भोजन बेकार फेका ना जाये।
हो सके तो मन में उन सभी का धन्यवाद करना जिनके परिश्रम से भोजन आपकी थाली तक पहुँचा।
महंगा फ़ोन, महँगी गाड़ी, आलीशान बंगला नहीं भी हुआ तो जीवन चलेगा पर अगर अनाज सब्ज़ी फल नमक तेल मसाला चाय चीनी बंद होता तो सारा पैसा धरा का धरा रह जाता.
मंदिर मस्जिद चर्च गुरुद्वारा का अपनी जगह महत्व होगा पर इस संकट ने हमें यह भी दिखा दिया है कि हमारी प्राथमिकता क्या होनी चाहिए। किसका क्या महत्व है सब सामने है।
लॉकडाउन एक सीख लेकर आया है. आज से किसान, मज़दूर, कारीगर, ड्राइवर, दुकानदार जो भी आपको किसी तरह की सेवा या वस्तु देता है, उसको धन्यवाद बोलना मत भूलना. गरीब से मोलभाव मत करना और जो संपन्न हैं वो एक दो रुपया ज्यादा ही दे दिया करो आपके जेब पर कुछ फ़र्क़ नहीं पड़ेगा पर गरीब की मदद जो जाएगी, आशीर्वाद मिलेगा.
सुरक्षित रहें इस संकट से हम निकलेंगे ज़रूर।
जय राम जी की 🙏
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