सर्वे सन्तु निरामयाः

मेरे अनुसार किसी मरकज़ के अपराध को इस्लाम के सभी अनुयायियों से जोड़ना उचित नहीं होगा।

सब के सब औरंगज़ेब और जिन्ना नहीं हो सकते। भारत में अश्फ़ाक उल्ला खान भी हैं, अब्दुल हमीद भी है और डॉक्टर अब्दुल कलाम भी हैं। 

मै कितने लोगों को व्यक्तिगत जानता हूँ जो राष्ट्र निर्माण में तन मन धन न्योछावर करते रहे हैं।   

इस्लामिक कट्टरवाद के ख़िलाफ़ मै भी बोलता हूँ और मेरा विरोध इस्लाम के नाम पर हो रहे अंधविश्वास, हिंसक और कट्टरवादी विचारधारा से है इस्लाम से मेरा कोई विरोध नहीं है। और ना ही इस्लाम को मानने वालों से कोई विरोध है। आप शांति से ईश्वर की उपासना करो उसमें किसी को क्या आपत्ति होगी। पर अंधविश्वास, हिंसा और कट्टरता करने वाला चाहे किसी भी सम्प्रदाय का हो उससे मेरी असहमति है और उनका विरोध है।  

जैसे हज़ारों लाखों पूजा पद्धतियाँ है उन में से एक इस्लाम भी है। पूजा पद्धति ही अलग है पर सब के पुरखे  एक हैं, ख़ून एक है और सबसे बड़ी बात जन्म लेने वाला नवजात ना तो हिंदू होता है ना मुसलमान होता है। जिस संस्कार और जिस परवरिश में पालन पोषण होता है बड़ा होकर वही बनता है। 

मेरा अनुरोध है कि प्रेम और मानवता चुनो। औरंगज़ेब नहीं डॉक्टर अब्दुल कलाम का रास्ता चुनो। कंस कृष्ण का मामा था और रावण महापंडित शिव भक्त था। पर सत्य, शांति, मानवता, प्रेम और धर्म में विश्वास रखने वाला कृष्ण और राम को पूजता है रावण और कंस को नहीं।       

सरकार को गाली देना आसान है। पर ख़ुश क़िस्मत हो कि तुम्हें मोदी और योगी जैसे कर्म योगी मिले हैं। इस  संकट में युधस्तर का प्रबंधन पूरी दुनिया के लिए एक मिशाल है। और यह मै नहीं कह रहा हूँ बड़े बड़े एक्स्पर्ट लोग बताते हैं कि संसाधनो की कमी होते हुए भी भारत में इस स्तर का प्रबंधन एक अपने में ही एक आश्चर्य है। 

विश्व के बड़े बड़े समृद्ध देश आज अपने घुटने पर चुके हैं, उसके विपरीत भारत बहुत अच्छा कर रहा है। यह संकट टलेगा पर सबके सहयोग से। नकारात्मता, घृणा और आपसी वैमनस्व त्याग संयम रखते हुए सुविचारों से सहयोग करो।       

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः,
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःख भाग्भवेत्।

सभी सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें, सभी मंगलमय घटनाओं के साक्षी बनें और किसी को भी दुःख का भागी बनना पड़े।

शांतिः शांतिः शांतिः

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