मेरे कुछ मित्रों का कहना है कि भारत इसलिए जलाया जा रहा है कि एक संशोधन भारत के संविधान के ख़िलाफ़ है.
संविधान की दुहाई देने वाले मेरे सभी प्यारे मित्रों, आपकी तर्क में ही अंतर्विरोध है. अगर कोई प्रक्रिया संविधान के विपरीत है तो कोर्ट में जाकर ख़ारिज हो जाएगी. असत्य और अफ़वाह फैलाकर तुम अपना ही देश जला रहे हो.
वो अलग बात है इस कुतर्क की आड़ में देश जलवाना है, देश के बाक़ी नागरिकों वो भय दिखाना है कि हमसे डरो नहीं तो तुम्हारा भी वही हाल करेंगे जो पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान में काफिरों के साथ किया.
अरे पूजा पद्धति क्या बदली, अपनो को काफिर बना दिया, नीच बोला, रक्तपात किया, दुष्कर्म किया.
एक बात भारत जलाने वाले और उनको पीछे खड़े लोग समझ ले. क्रूरता और आतंक से कुछ हासिल नहीं होगा. महमूद गजनवी की गजनी आज रेत का ढेर मात्र बनकर रह गयी है. और वही भारत का आध्यात्म और संस्कृति एक हरियाली की तरह पुनः जाग्रत हो रही है. और आज इसी सत्य और संस्कृति की तरफ़ आज विश्व आकर्षित हो रहा है.
सत्यमेव जयते नानृतम सत्येन
अंततः सत्य की ही जय होती है न कि असत्य की।
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