ऐसा प्रतीत होता है कि कोई रंग मंच का नाटक हो रहा है. सम्प्रदाय, मज़हब और जाति के आधार पर मानवता का बटवारा हो रहा है. महिलाओ की अनुपस्थिति वाली, महिलाओ को अधिकार पर चुप्पी साध लेने वाली पुरुषों की ये भीड़ नारी पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ इंकलाब की बात कर रही है.
अगर महिला पर अत्याचार ये कैंडल लाइट, हैशटैग और सरकार को गाली से बंद होता तो बहुत पहले हो चुका होता।
अगर मेरी जानकारी सही है तो Commonwealth games 2018 Gold Coast Australia में भारत द्वारा जीते हुए 66 पदको में आधे से ज्यादा पदक भारत की बेटियों ने जीता है.
जिस देश में नारी को सरस्वती, लक्ष्मी और दुर्गा को रूप माना जाता है उसी देश में उनके ऊपर अत्याचार हो, कलंक! है.
बेटी को पढ़ने नहीं भेजा, उसको क्या पहनना है, क्या खाना है, किसके साथ शादी करना है यह पुरुष निर्धारित करेगा। कभी कोई महिला के कपड़ों की बात करेगा तो कोई नृत्यांगना और अभिनेत्री को नाच-गाने वाली जैसा संज्ञा देगा। प्राचीन भारत के पन्ने पलटियेगा तो उसमे नारी का स्थान बराबर का दिखेगा।
कोई कहता है की नया कानून ले आओ फिर ठीक हो जायेगा। पुरे भारत में लगभग सामान कानून है फिर ये महिला पर अत्याचार, अपराध की ज्यादातर घटनाये भारत के उत्तर, पूर्व और मध्य में होती है. गुजरात में आधी रात में में महिला सोने चाँदी पहनें निर्भीक होकर नवरात्रि में गरबा नृत्य के लिए जाती है. उत्तर पूर्व में महिला पुरुष साथ साथ अपना पारम्परिक नृत्य करते हैं कहीं कुछ नहीं होता, दक्षिण भारत में घटनाये क्यों नहीं सुनाई देती है. भारतीयता और मानवता का यह उत्तरदायित्व है कि महिलाओ को समान अधिकार हो. सरस्वती, लक्ष्मी और दुर्गा के देश में महिला के अधिकार का छीनने वाली और उनको पर्दा और घूँघट में ढकेलने वाली ये गन्दगी कई शताब्दियों पहले बाहर से आयी थी. और जब तब ये गन्दगी समाज में है, आप करते रहो कैंडल लाइट, हैशटैग और सरकार को गाली देने का तमाशा, कुछ नहीं बदलेगा।
कोई कहता है की नया कानून ले आओ फिर ठीक हो जायेगा। पुरे भारत में लगभग सामान कानून है फिर ये महिला पर अत्याचार, अपराध की ज्यादातर घटनाये भारत के उत्तर, पूर्व और मध्य में होती है. गुजरात में आधी रात में में महिला सोने चाँदी पहनें निर्भीक होकर नवरात्रि में गरबा नृत्य के लिए जाती है. उत्तर पूर्व में महिला पुरुष साथ साथ अपना पारम्परिक नृत्य करते हैं कहीं कुछ नहीं होता, दक्षिण भारत में घटनाये क्यों नहीं सुनाई देती है. भारतीयता और मानवता का यह उत्तरदायित्व है कि महिलाओ को समान अधिकार हो. सरस्वती, लक्ष्मी और दुर्गा के देश में महिला के अधिकार का छीनने वाली और उनको पर्दा और घूँघट में ढकेलने वाली ये गन्दगी कई शताब्दियों पहले बाहर से आयी थी. और जब तब ये गन्दगी समाज में है, आप करते रहो कैंडल लाइट, हैशटैग और सरकार को गाली देने का तमाशा, कुछ नहीं बदलेगा।
पर मुझे पूरा विश्वास है कि जब भारत में महिलाओं को समाज में पूर्ण स्वतंत्रता मिलेगी, पर्दा और घूंघट के घुटन से बाहर निकलेगी, वह शिक्षित होगी, आत्मनिर्भर बनेंगी, तब भारत पुरुष प्रधान की इस संकीर्ण विचारधारा से निकलेगा।
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः ।
जहाँ नारी की पूजा होती है वहाँ देवियां प्रसन्नता से रहती हैं.
ॐ शान्ति शान्ति शान्ति!
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