नाजिया और नीलम में भेदभाव क्यों?

नीलम और नाजिया 
नाजिया लखनऊ नगर की रहने वाली है. वह बारहवीं के बाद आगे भी  पढ़ना चाहती थी. परन्तु उसके परिवार पुरातन और संक्रीण विचारधारा के कारण उसकी उच्च शिक्षा संभव नहीं हो पा रही  थी. नाजिया का भाग्य अच्छा था कि नाजिया को  तीस हजार रुपये की कन्या विद्या धन राशि मिली और नाज़िया ने उच्च शिक्षा में प्रवेश लिया।
नाजिया 
नीलम रायबरेली मे एक गाँव उड़वा की रहनी वाली है. इस गाँव को सोनिया गाँधी ने सांसद आदर्श ग्राम योजना गोद ले रखा है. इस गाँव मे कुछ नहीं बदला। श्रीमती सोनिया गाँधी आजतक इस गाँव में नही गयी.  इस गाँव से मीलों दूर तक उच्च शिक्षा की व्यवस्था नहीं है। नीलम आगे पढ़ना चाहती है. उसके परिवार के भी इच्छा है कि नीलम आगे पढ़े. पर नीलम एक गरीब परिवार से है.  नीलम को कन्या विद्या धन राशि नहीं मिला। बारहवी के बाद अभी अपने भाई की समोसे की छोटी सी दूकान पर भाई सहायता करती है. नीलम का क्या दोष है? 

नीलम 

कोई इन अक्षमअयोग्य सोनिया गाँधी और जाति और पंथ के आधार पर भेदभाव करने वाली समाजवादी सरकार से पूछता कि नाजिया और नीलम मे  भेदभाव क्यों?  

News Source: firstpost.com 

लखनऊ नगर में रहने वाली नाज़िया की समस्या

सोनिया गाँधी के रायबरेली क्षेत्र के सांसद आदर्श ग्राम की नीलम और उसके गांव की व्यथा 

क्या उत्तर प्रदेश को अपराधियों और घोटालेबाजो का साथ पसंद है?
















उत्तर प्रदेश सरकार के एक प्रशासनिक अधिकारी("पढ़े लिखे चोर") के पुत्र के  विवाह में एक आभूषण माला गायब हो जाती है. इस आभूषण का मूल्य तीस लाख रुपये था.  क्योंकि  ये लोग "बड़े वाले चोर" हैं इसलिए इसने कोई प्रश्न भी नहीं करता कि  आप जनता के नौकर हैं. ऐसा कौन सा वेतन  मिलता है कि आप इतनी महँगी आभूषण माला आप इतनी आसानी से आप खरीद भी लेते हैं और और गायब भी हो जाती है. क्योकि आभूषण माला गायब हो गयी तो अब घर में काम कर रहे गरीब मजदुरो से पूछताछ किया गया.  और इनके समाज में यह धारणा भी है की अगर घर में चोरी हुई है तो घर में काम करने वाले गरीब ने ही किया होगा। इनमे से दो गरीब मजदूरो को उत्तर प्रदेश की पुलिस("लाइसेंस धारी गुंडे") दो महीने तक पुलिस लॉकअप में बंद करके उन पर हिंसा और अत्याचार करती रही.  उसमे से एक युवक इस हिंसा और अत्याचार से तंग आकर आत्महत्या करने का प्रयास किया। बात समाचार पत्रो तक पहुच गयी फिर उन्हें पुलिस के चंगुल से निकाला  गया.

आपराधिक सरकार पर फर्स्टपोस्ट न्यूज़ की रिपोर्ट

दूसरी घटना सुल्तानपुर की है जहाँ  उत्तर प्रदेश सरकार चला रही राजनितिक दल के एक नेता("खादी पहने अपराधी") एक २८ वर्षीय बालिका के साथ दुष्कर्म करते हैं. पुलिस बालिका की शिकायत भी नहीं लिखती. उच्च न्यायालय की फटकार पर पुलिस ने शिकायत लिखा. पर उस पीड़ित  बालिका गवाही से एक दिन पहले हत्या कर दिया गया. इन लोगो ने समाजवाद की परिभाषा बनायीं जिसमे पहले बलात्कार फिर हत्या।

इनकी सरकार का एक मंत्री अपने कुछ चमचो के साथ मिलकर एक महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म करता है. और उस महिला के १८ वर्षीया बेटी  के साथ दुष्कर्म करने का प्रयास करता है. सरकार की पुलिस इस अपराधी मंत्री पर कोई कार्यवाही नहीं करती। उच्चतम न्यायलय के हस्ताछेप करने पर आज इस अपराधी कार्यवाही प्रारम्भ हुई है। 

 ये निर्लज़्ज़ कहते हैं कि "काम बोलता है". आकाश से लेकर पाताल तक घोटाला करने वालों के साथ खड़े होकर निर्लज्जता से कहते हैं की "उत्तर प्रदेश को साथ पसंद है." ये उत्तर प्रदेश का परिहास है. जहाँ एक अपराधी और एक घोटालेबाज साथ खड़े होकर कहते हैं कि "उत्तर प्रदेश को अपराधियों और घोटालेबाजो का साथ पसंद है"

एक और बहन जी हैं जो अरबो रुपये  लूटने बाद भी अपने आप को दलित कहती हैं. उन्होंने पुरे सरकारी तंत्र को लूट तंत्र में बदल दिया। भृष्टाचार के साक्ष्य को छिपाने के लिए अफसरों की हत्या करवाई। उनके एक विधायक जी एक १७ वर्षीय नाबालिग दलित बच्ची के साथ दुष्कर्म करते हैं. जब बच्ची पुलिस गयी तो विधायक  जी नहीं बल्कि उस बच्ची को जेल में दाल दिया गया. समाचार पत्रों  और टेली विज़न समाचार तक बात पहुची तब  पीड़ित बच्ची की रिहा हुई.  

इकीसवी सदी में भी इन अपराधियों ने जनतंत्र को बंधक बना रखा है. क्योंकि चुनाव आते ही हम सब जाति और संप्रदाय में अलग थलग बट जाते हैं.  कोई यादव बन जाता है तो कोई ठाकुर बन जाता है. कोई ब्राम्हण  बन जाता है तो कोई जाटव बन जाता है. क्या हम राशन और सब्जी वाले से उसका जाति और पंथ पूछकर उसके यहाँ जाते हैं.   क्या डॉक्टर की उसकी जाति और पंथ पूछ कर अपना उपचार कराते हैं. आम जीवन में हम सब एक साथ होते हैं. हम जिस बर्तन में  भोजन करते हैं. वो बर्तन बनाने वाला कभी नहीं सोचता की किस जाति और पंथ के लोग उसके बनाये हुए बर्तन में भोजन करेंगे। किसान के मन में भी ये दुविधा नहीं होती कि किस जाति और सम्प्रदाय के लोग उसका अनाज खाएंगे।  

हमें  इतनी साधारण सी बात नहीं समझ पाते कि ये लुटेरे यही चाहते हैं कि लोग आपस में बट जाये फिर इनसे कोई ये प्रश्न करे. आपसी मतभेद ने  १५०० वर्षो तक भारत को  आतंकी और लुटेरो के आधीन रहा. चंद्र गुप्त मौर्या और अशोक के शासनकाल  मे जब भारत एक था उस समय किसी आतंकी गोरी और ग़ज़नवी में भारत की तरफ देखने का साहस नहीं था. 

उत्तर प्रदेश जो कभी राम, कृष्णा, बुद्ध और कबीर की धरती हुआ करती थी आज अपराधियों और लुटेरों के अत्याचार सह रही है.    

जब तक लोग एक नहीं होंगे जाति और सम्प्रदाय से ऊपर नहीं उठेंगे। कुछ बदलने वाला नहीं है. ज्यादा नहीं केवल दो वर्ष पहले लोग जाति और सम्प्रदाय से ऊपर उठे और स्वतन्त्र भारत का एक नया इतिहास बनाया। अगर लोग जाति और सम्प्रदाय से ऊपर उठे  तो नया इतिहास बनता रहेगा। और बुराई पर सच्चाई की जीत अवश्य होगी।

सत्यमेव जयते।    




"काम" नहीं "कारनामा" बोलता है


२०१४ में भारत के संसदीय चुनाव के अप्रत्याशित परिणाम के बाद सब विकास की बात करते हैं. विकास बोलने से नहीं करने से होता है.  सरकार की पूरी अवधि में काले कारनामे करते रहे. आखिरी क्षण में विकास  का ज्ञात हुआ.   उत्तर प्रदेश की सत्तारूढ़ दल और मुख्य विपक्ष दल जिनका पूरा राजनीतिक जीवन जातिवाद,    गुंडागर्दी, भृष्टाचार, चोरी, लूट, हत्या, बलात्कार, मजहबी कट्टरवाद, आतंकवाद में कथित रूप से प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष भागीदारी रही है. 

माननीय का तथाकथित विकास -
यमुना एक्सप्रेसवे : 
किसानों को जमीन छीन कर व्यापार से जुड़े जेपी जैसे भ्रष्ट समूहो को एक्सप्रेसवे और अपार्टमेंट बनाने के लिए देना विकास नहीं बल्कि लूट और भ्रष्टाचार है. गावँ और कस्बो की सड़के टूटी हुई है या सड़क ही नहीं है. कोई गरीब हो अस्वस्थ हो  तो समय पर एम्बुलेंस नहीं पहुचता। किसान अपना उत्पादन मंडी में नहीं भेज पाता क्योंकि आधारिक संरचना जैसी मूलभूत  व्यवस्था की कमी है.  जब स्वर्णिम चतुर्भुज राष्ट्रीय राजमार्ग से  दिल्ली, आगरा, कानपुर और वाराणसी  प्रमुख  नगरो से जुडी हुई हैं फिर ऐसी क्या आवश्यकता आ गयी थी कि  गावं और कस्बो की सड़को के स्थान पर आपको एक और एक्सप्रेसवे बनाना था. आपकी दिशाहीन प्राथमिकता का कारण आप सब के मन मे छिपा भ्र्स्टाचार है.


लखनऊ मेट्रो:
बीस करोड़ से ऊपर की जनसंख्या वाले उत्तर प्रदेश में मात्र १६०० यात्री क्षमता ट्रेन के लिए  हजारों करोड़ रुपये खर्च करना आपके लिए विकास होगा । खेतो की सिचाईं की व्यवस्था करते. पुर्वोत्तर उत्तर प्रदेश में बाढ़ की समस्या का समाधान करते। लखनऊ जैसे महानगर में भी जब  किसी की दुर्घटना होती है तो सरकारी चिकित्सालय में उपचार कराने की जगह नहीं मिलती है. चिकित्सालय में बेड की संख्या बढ़ाते।   


स्टेडियम :
उत्तर प्रदेश के कितने प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में खेल और व्यायाम की मूलभूत सुविधा है?  लगभग  किसी में नहीं है. केंद्र की सरकार अगर टॉयलेट न बनवाती तो टॉयलेट नहीं था विद्यालयों में. जब बचपन से किसी को खेल और व्यायाम के लिए प्रोत्साहित नहीं किया तो कोई स्टेडियम तक कैसे पहुचेगा। विद्यालयों की व्यवस्था ठीक करते। और इसके साथ इन विद्यालयों में जनता के टैक्स के पैसे से पल रहे मुफ्तखोर अध्यापको से कहते कि ईमानदारी से गरीब के संतानो को शिक्षा दो अन्यथा दूसरा कोई कार्य करें। आपकी इस घटिया शिक्षा व्यवस्था ने करोडो बच्चों का भविष्य अंधकारमय कर रखा है.


लैपटॉप वितरण:
युवा का सशक्तिकरण  निःशुल्क में वितरित हुए लैपटॉप और स्मार्टफोन से नहीं बल्कि उत्तम गुणवत्ता की शिक्षा और रोजगार के अवसर मिलने से होता है.  यदि लैपटॉप वितरित करने से युवा की भविष्य सर्जित हो जाता तो अमेरिका और यूरोप के सम्पन्न राष्ट्र विद्यालय बन्द  करके अपने बच्चों को लैपटॉप  और आईपैड वितरित कर देते। जापान में निःशुल्क लैपटॉप का वितरण नहीं होता है  क्योंकि वो उत्तम गुणवत्ता की शिक्षा और रोजगार के अवसर में विश्वास रखते हैं.
 








साइकिल लेन:
243,290 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल वाले उत्तर प्रदेश में आपने २ किलोमीटर की साइकिल लेन बनायीं और इसे आप विकास कहते  हैं.  आप उत्तर प्रदेश का उपहास  रहे हैं.  

मानव विकास सूचकांक में उत्तर प्रदेश निम्न स्तर पर है. मानव जीवन दयनीय है. आपकी सरकार के अपराध, लूट और भ्रष्टाचार से सामान्य मानवीय पीड़ित है.  फिर भी कितनी निर्लज्जता से आप कहते है कि  "काम बोलता है".



उत्तर प्रदेश सरकार के कुकर्म और काले कारनामो की  सख्या असीमित है अनंत है. मेरे लिखने से और कहने से कुछ नहीं होता। अच्छा होता  मुख्यमन्त्री जी अपनी अंतरात्मा से प्रश्न करते  कि उनके  राजनितिक दल के सारे जनप्रतिनिधियों  में कौन चोर नहीं है कौन लुटेरा नहीं है, कौन कुकर्मी नहीं है. मुख्यमन्त्री जी जनसेवा करने का इतना सुनहरा अवसर मिला था पर वो इसी मे प्रसन्न हैं  कि वो  सुश्री बहन जी से  बेहतर हैं.  मेरे आकलन से माननीय मुख्यमंत्री जी आप पूर्व मुख्यमंत्री बहन जी से बेहतर हैं पर दोनों ही अयोग्य हैं और उत्तर प्रदेश  के लिए  हानिकारक हैं.