संविधान की दुहाई



मेरे कुछ मित्रों का कहना है कि भारत इसलिए जलाया जा रहा है कि एक संशोधन भारत के संविधान के ख़िलाफ़ है. 

संविधान की दुहाई देने वाले मेरे  सभी प्यारे मित्रों, आपकी तर्क में ही अंतर्विरोध है. अगर कोई प्रक्रिया संविधान के विपरीत है तो कोर्ट में जाकर ख़ारिज हो जाएगी. असत्य और अफ़वाह फैलाकर तुम अपना ही देश जला रहे हो. 

वो अलग बात है इस कुतर्क की आड़ में देश जलवाना है, देश के बाक़ी नागरिकों वो भय दिखाना है कि हमसे डरो नहीं तो तुम्हारा भी वही हाल करेंगे जो पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान में  काफिरों के साथ किया. 

अरे पूजा पद्धति क्या बदली, अपनो को काफिर बना दिया, नीच बोला, रक्तपात किया, दुष्कर्म किया. 

एक बात भारत जलाने वाले और उनको पीछे खड़े लोग समझ ले. क्रूरता और आतंक से कुछ हासिल नहीं होगा. महमूद गजनवी की गजनी आज रेत का ढेर मात्र बनकर रह गयी है. और वही भारत का आध्यात्म और संस्कृति एक हरियाली की तरह पुनः जाग्रत हो रही है. और आज इसी सत्य और संस्कृति की तरफ़ आज विश्व आकर्षित हो रहा है. 

सत्यमेव जयते नानृतम सत्येन
अंततः सत्य की ही जय होती है कि असत्य की।

क्रूरता ही इनका मूल है और आतंक ही इनका सत्य है.




पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफग़ानिस्तान के इस्लामिक कट्टरपंथियों के द्वारा हिन्दू बौद्ध सिख ईसाई जैन अल्पसंख्यकों पर हत्या, बलात्कार, क्रूरता और आतंक जैसे अपराध का साया कई दशकों है.

पाकिस्तानबांग्लादेश और अफग़ानिस्तान में प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को भारत शरण देने की बात करता है. इस पहल का तो स्वागत होना चाहिए पर भारत के अंदर बैठे मजहबी कट्टरपंथी आज भारत में आग लगा रहे हैं


ये भीड़ और ये आग इन मजहबी कट्टरपंथियों की खुली चेतावनी है. और जहाँ भी ये कट्टरपंथी सख्याबल में हैं इनका असली चेहरा समाज ने देखा है, इतिहास में अंकित है. क्रूरता ही इनका मूल है और आतंक ही इनका सत्य है.

भारत का सत्य है शांति, करुणा और मानवता. आज मानवता की रक्षा के लिए, भारत की रक्षा के लिए शांति और मानवता में विश्वास रखने वाले सभी भारतीयों को आज एक सुर में इन मजहबी कट्टरपंथियों से मुकाबला करना होगा।

 ये पहले की ही तरह आपको ऊँच नीच और जात पात में बाटेंगे। अगर आप फिर अलग थलग पड़े तो नालन्दा का पुनः विध्वंश होगा। राम की जगह बाबर लेगा। दुर्गा को पर्दे के अंदर घुटना पड़ेगा।    

और आज आपको कृष्ण बनकर, राम बनकर, हनुमान बनकर, दुर्गा बनकर, काली बनकर, भगत सिंह बनकर, चंद्र शेखर आजाद बनकर, वीर सावरकर बनकर, अशफ़ाक़ उल्ला खान बनकर, बिस्मिल बनकर और अब्दुल हमीद बनकर इन अधर्मियों से मानवता, समाज और राष्ट्र की रक्षा करनी है      

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्
परित्राणाय साधूनां विनाशाय दुष्कृताम्-
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे  
जब जब भी धर्म का विनाश हुआ, अधर्म और पाप बढ़ा है,
तब तब मैंने खुद का सृजन किया
सज्जनों के उद्धार और बुरे कर्म करने वालो के संहार के लिए,
धर्म की स्थापना के प्रयोजन से, मै हर युग में, युग युग में जन्म  लेता रहूँगा।