हर हर महादेव!

 

हर हर महादेव!

अब कारीगरों के हाथ नहीं काटे जाते, अब उनका सम्मान किया जाता है

कहने को स्वतंत्रता सन सैंतालिस में गयी थी। पर स्वतंत्रता कुछ ख़ास तक ही सीमित थी। 

भारत के आम जन को और भारत की संस्कृति को ज़ंजीरो से जकड़ क़ैद कर रखा था। आज वो ज़ंजीर टूट रही है। आज मानवता और शांति में विश्वास रखने वालों के लिए गर्व का क्षण है, हज़ार वर्षों के अंधेरे के बाद फिर से उजाला हुआ है। सत्य की जीत हुई है, अधर्म का नाश होगा।

अभी भी सचेत रहने की ज़रूरत है। एक औरंगज़ेब लाल टोपी में घूम रहा है और एक गजनवी जनेउ धारी बना घूम रहा है। इन बहरुपयों से बचना है क्योंकि ये लुटेरे हैं, अपनी स्वार्थ लालच में भारत की पावन मिट्टी को फिर से उस खूनी आतंकी मुग़लकाल में ढकेलेंगे।