आज कालकी आया है

 

उसका क्या है, वो तो कहीं भी रह लेगा। उसका एक भाई पेट्रोल पम्प पर काम करता है तो एक भाई किराने की दुकान चलाता है। उसकी माँ एक कमरे में गुज़ारा करती है, उसका परिवार भी भारत के बाक़ी एक अरब की तरह एक साधारण जीवन जीता है। एक हज़ार वर्ष की ग़ुलामी, तबाही, लूट, अत्याचार और आतंक के बाद वो आज हमारी आवाज़ बन कर आया है। वो कुछ बदलने आया है और बहुत कुछ बदल भी रहा है। 


जिनते भी चोर, भ्रष्ट, भारत और भारतीयता के दुश्मन हैं वो आज विचलित हैं और क्रोधित हैं। उनका ग़ुस्सा स्वाभाविक है जो भारतीय पिछले हज़ार सालों से इन साहब लोगों की ग़ुलामी करता था, वह दुर्बल दबा कुचला इनकी सत्ता की नीव हिला रहा है। 


एक दुःख इस बात का भी है कि कर्ण और भीष्म की तरह कुछ अच्छे लोग भी आज कौरवों के साथ अधर्म के भागीदार बन रहे हैं। अरे आँखे खोलो वो तुम्हारे लिए भी लड़ रहा है।  वह तुम्हारा शत्रु नहीं बल्कि तुम्हारे शत्रु वो लोग हैं जिन्होंने तुम्हें आज तक उठने नहीं दिया। वह भेद भाव नहीं करता। गरीब के सर पर छत, रसोई में गैस चूल्हा, खाते में डाइरेक्ट ट्रान्स्फ़र जाति पंथ और सम्प्रदाय देख कर नहीं आती है। एक हज़ार वर्ष बाद आज कोई आया है जिसने हमें हमारी भाषा और संस्कृति पर स्वाभिमान करना बताया। 


यह एक व्यक्तिगत नहीं बल्कि एक वैचारिक धर्म युद्ध है जिसमें कौरवों की अधिक संख्या और बल है। ये मत भूलना अगर इनके सोने की लंका है और रावण जैसा अभिमान है तो भारत का हर बालक हनुमान है और भारत की बाला दुर्गा है। इनकी लंका भी जलेगी और महिषासुर का वध भी होगा। 


देखो आज कालकी आया है।