योग भारत का विश्व को एक अनमोल उपहार है पर योग भारत से कहीं ज़्यादा भारत के बाहर लोकप्रिय है, ऐसा दिखता है. मैंने यह अनुभव किया है कि भारत में योग की छवि ज़्यादातर किसी बीमारी के उपचार से लेकर जुड़ी है जैसे कि मोटापा घटाना, ब्लड प्रेशर ठीक करना, डायीबीटीस ठीक करना इत्यादि इत्यादि। मै यह नहीं कह रहा कि योग से बीमारियाँ ठीक नहीं होती। बिलकुल होती होंगी। पर मेरे अपने विचार से योग को केवल बीमारी के उपचार से जोड़ने से एक बड़ी संख्या में आम जन मानस कट जाता है उसे लगता है कि मुझे कोई बीमारी नहीं तो मै योग क्यों करूँ।
जबकि योग हम सभी की दिनचर्या का एक हिस्सा होना चाहिए।
मेरे अपने समझ और विचार में योग एक विज्ञान है और योग को ऋषि पतंजलि ने कुछ इस तरह परिभाषित किया कि योगश्चित्तवृत्तिनिरोधः अर्थात् चित्त की वृत्तियों का निरोध ही योग है। थोड़ा और साधारण भाषा में कहें तो मन में चल रहे उथल पुथल को शांत करके एक्रगता लाना। हम सब साधारण भाषा में योग का प्रयोग जोड़ने से करते हैं। उसी तरह शरीर, मन और आत्मा के एक साथ जुड़ना योग है। और यह तभी संभव है जब आप शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ हैं। हाँ बिलकुल अगर आप योगासन, प्राणायाम और ध्यान करते हैं तो शरीर और मन स्वस्थ रहेगा।