छलाँग लगाऊंगा मैं

अब राजा का बेटा राजा नहीं बनेगा.. अब राजा वही बनेगा जो हकदार होगा! (poster from Super 30 Movie)

मुझे याद है वो घना अँधेरा 
जब दूर दूर तक कहीं कोई किरण नहीं दिखी।   

सपने थे, पर रास्ते बंद थे
मन में भय था और जीवन में निराशा

एक दिन निकल पड़ा एक पथिक बनकर 
किस रास्ते जाना है यह मालूम नहीं

इक जुनून सा था कुछ बनने का और कुछ करने का 
गिरता था, थकता था और रोता था

डरता भी था सामने का अँधेरा देखकर
पर कभी विचलित नहीं होता था।

कितनी बार खुले आसमान में ख़ाली पेट सोया।
रोया मै, पर लौटा नहीं आधे रास्ते।

बस ज़िद ठान ली थी अपनी परस्थिति से लड़ने की।
करता भी क्या जब हारने को कुछ भी ना था 

अब ईश्वर मंदिर में है कि मस्जिद में है 
इसका नहीं पता, पर ईश्वर साथ था मेरे 

ईश्वर मिलते कभी मित्र कभी गुरु के रूप में  
कभी माता पिता भाई बहन का प्यार बनकर 

कठिन रास्ता था और गंतव्य का पता नहीं था।
पर पूरे रास्ते अपनों का आशीर्वाद था मेरे ऊपर

मैं लड़ता रहा और आज भी लड़ रहा
न कल भयभीत था और ना आज डरूँगा।

रास्ता नहीं होगा तो रास्ता बनाऊँगा मैं
ईश्वर अपने साथ है छलाँग लगाऊंगा मैं